Saturday , 20 April 2024

न्यूज़ टैंक्स | अयोध्या

अयोध्या। आज से 492 वर्ष पहले आताताई बाबर के द्वारा भगवान राम के मंदिर को 1528 में तोड़ा गया एक बार फिर भव्य और दिव्य राममंदिर बनने का मार्ग प्रशस्त हो रहा है। एक लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने बाद न्यायालय के द्वारा मंदिर निर्माण का मार्ग निकल सका। 5 अगस्त 2020 इतिहास में अमर हो जाएगा। यह जीत आस्था और विश्वास की है।एक तरफ जब तलवार की नोक पर करोड़ों लोगों के आस्था के प्रतीक भगवान राम के मंदिर को तोड़ा गया वहीं अहिंसा का मार्ग अपनाकर आज भव्य मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी जा रही है। आज हम कुछ महत्वपूर्ण बातों का यहां जिक्र करेंगे जो आपको जानना बहुत जरूरी है।

ऐसा पहली बार है जब कोई प्रधानमंत्री जन्मभूमि पर आएगा

 

अयोध्या के लिए दिल्ली से रवाना हुए पीएम मोदी, अलग ड्रेस में नजर आएंगे

 

आजादी के बाद से ही अयोध्या केंद्र में रहा। कुछ समय बाद राजनीति के केंद्र भी अयोध्या आ गई। राम के नाम पर राजनीति की वैतरणी पार उतरने वाले नेता जब सत्ता में तो वह भी रामजन्मभूमि पर आने से परहेज किये। बीते पांच दशक की हम अगर बात करें तो इंदिरा गांधी, राजीव गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी अयोध्या जरूर आये लेकिन रामजन्मभूमि पर आने से परहजे किये। जबकि भारतीय जनता पार्टी के अजेंड में भी राम मंदिर रहा है।

विपक्ष पूछता रहा डेट कब बताएंगे।

चुनावी नारों की तरह मंदिर आंदोलन में भी बहुत से नारे दिए गए। जो समय-समय पर मंचो से बोले गए। एक जो बहुत प्रसिद्ध नारा दिया गया जिसको लेकर विपक्ष भाजपा से सवाल भी पूछता था वह था रामलला हम आएंगे मंदिर वहीं बनाएंगे, विपक्ष ने एक पंक्ति और जोड़ी और कहा लेकिन डेट नहीं बताएंगे।
आज वह अवसर आ ही गया जब रामलला भी आये और डेट भी बताए और आधार शिला भी रख दिये।

भव्यता और दिव्यता को समेटे होगा राम मंदिर

 

राम चरित मानस में एक चौपाई है
अवधपुरी मम पूरी सुहावन, उत्तर दिशि बाह्यं सरयू पवन

अयोध्या से का इससे ज्यादा प्रमाण और क्या चाहिए। अयोध्या के उत्तर में कल-कल बहती सदानीरा सरयू नदी इस बात की गवाही देती हैं। भारत मे मुख्यता नागर, द्रविण और वेसर तीन शौलियों में मंदिर पाए जाते हैं। उत्तर भारत मे प्रमुख रुप से नागर शैली में मंदिर का स्थापत्य है। राम मंदिर भी नागर शैली में डिज़ाइन किया गया है।

क्या है नागर शैली- इस शैली का प्रसार हिमालय से लेकर विंध्य पर्वत माला तक देखा जा सकता है। वास्तुशास्त्र के अनुसार नागर शैली के मंदिरों की पहचान आधार से लेकर सर्वोच्च अंश तक इसका चतुष्कोण होना है। विकसित नागर मंदिर में गर्भगृह, उसके समक्ष क्रमशः अन्तराल, मण्डप तथा अर्द्धमण्डप प्राप्त होते हैं। एक ही अक्ष पर एक दूसरे से संलग्न इन भागों का निर्माण किया जाता है। गर्भगृह अष्टकोणीय आकर में होता है। राममंदिर के मुख्य वास्तुकार चंद्रकांत सोमपुरा बताते हैं कि बहुत समय से हमको इस घड़ी का इंतज़ार था। उंन्होने बताया कि हमें गर्व है कि हम हमारा परिवार सोमनाथ मंदिर निर्माण से जुड़ा रहा।

रिपोर्ट-रोहित रमवापुरी