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बुझ गया एक और साहित्य का चिराग, विष्णु खरे का हुआ निधन

एनटी न्यूज डेस्क/श्रवण शर्मा/नई दिल्ली

9 फरवरी 1940 को मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में जन्मे विष्णु खरे कवि के साथ ही अनुवादक, फिल्म आलोचक, पटकथा लेखक और पत्रकार भी रहे हैं।

साहित्यकार विष्णु खरे

ब्रेन स्ट्रोक

वे मयूर विहार के हिंदुस्तान अपार्टमेंट में किराए के एक कमरे में अकेले रहते थे।   वह 78 वर्ष के थे। 12 सिंतबर की सुबह उन्हें ब्रेन स्ट्रोक हुआ था। इसके बाद उनका इलाज दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल में चल रहा था। वह आइसीयू में भर्ती थे। ब्रेन स्ट्रोक होने के चलते उनके शरीर के अंगों ने कार्य करना बंद कर दिया था।विष्णु खरे के निधन की खबर आने के बाद साहित्यजगत के लोग सोशल मीडिया पर उन्हें याद करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित कर रहे हैं।

साहित्यकार विष्णु खरे

पत्रकारिता से करियर की शुरुआत

पत्रकारिता से अपने करियर की शुरुआत की। वे कुछ समय तक ‘दैनिक इन्दौर’ में उप संपादक रहे। बाद में उन्होंने दिल्ली, लखनऊ और जयपुर में नवभारत टाइम्स के संपादक का काम संभाला। वे टाइम्स ऑफ इंडिया में वरिष्ठ सहायक संपादक भी कार्यरत रहे।

साहित्यकार विष्णु खरे

रचनाएँ

उन्होंने जवाहरलाल नेहरू स्मारक संग्रहालय तथा पुस्तकालय में दो साल तक वरिष्ठ अध्येता के रूप में भी काम किया। उन्होंने मशहूर ब्रिटिश कवि टीएस इलियट का अनुवाद किया जो पुस्तक रूप में मरु प्रदेश और अन्य कविताएं नाम से छपा। उनकी रचनाओं में काल और अवधि के दरमियान, खुद अपनी आंख से, पिछला बाकी, लालटेन जलाना, सब की आवाज के पर्दे में, आलोचना की पहली किताब आदि शामिल है।

साहित्यकार विष्णु खरे

सम्मान

वे हिंदी साहित्य की प्रतिनिधि कविताओं की सबसे अलग और प्रखर आवाज थे। उन्हें हिंदी साहित्य के नाइट ऑफ द व्हाइट रोज सम्मान, हिंदी अकादमी साहित्य सम्मान, शिखर सम्मान, रघुवीर सहाय सम्मान, मैथिलीशरण गुप्त सम्मान से सम्मानित किया गया था।

साहित्यकार विष्णु खरे

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