Thursday , 28 March 2024

पश्चिम यूपी की राह नहीं आसान, गठबंधन की सहारनपुर रैली का रहेगा कितना असर

एनटी न्यूज / सहारनपुर / योगेश मिश्र

सपा, बसपा और रालोद की संयुक्त रैली सहारनपुर के देवबंद में आयोजित की गयी. 7 अप्रैल को आयोजित यह गठबंधन की पहली रैली थी. सहारनपुर सीट पर गठबंधन के लिए बसपा से प्रत्याशी फजलुर्रहमान हैं. यूपी गठबंधन की रैली में भाग लेने आए गठबंधन समर्थकों में सबसे ज्यादा रालोद समर्थक रहे. इस रैली में दूसरे नंबर पर समर्थकों की संख्या बसपा की रही लेकिन सपा समर्थकों से अधिक चंद्रशेखर रावण के समर्थक आए थे.
फोटोः योगेश मिश्र

कार्यकर्ता बोले कि दिल भी मिले हैं…

जिस तरह से मायावती इससे पहले रैली करती आयी हैं और उनकी रैलियों में भीड़ देखने को मिलती थी वैसी भीड़ तीन-तीन नेताओं के आने के बावजूद नहीं जुटी क्योंकि पंडाल के भीतर आधे से ज्यादा पीछे की कुर्सियां खाली पड़ी थीं. इसको हम ये मान सकते हैं कि दलों के मिलने के बाद से कुछ बसपाई नाराज हों.
पीछे की कुर्सियां खाली पड़ी रहीं.
हालांकि जितने भी समर्थक आए थे उनसे हमने पूछा कि सपा बसपा चिर प्रतिद्वंदी रहे हैं और इसका असर कार्यकर्ताओं पर भी रहा है लेकिन आज दोनों दल एक साथ हैं तो इससे आपलोग पर क्या असर पड़ा? इस प्रश्न के जवाब में सबका एकसाथ यही कहना था कि उन्हें आपस में कोई दिक्कत नहीं है क्योंकि अब गठबंधन की सरकार बनने जा रही है. एक ओर मायावती और अखिलेश हेलीकॉप्टर से आए तो वहीं अजीत सिंह सड़क के रास्ते आए. मंच पर तीन कुर्सियां आगे लगी थीं जिस पर क्रमशः अखिलेश, मायावती और अजीत सिंह बैठे.
रावण के रूप में तीन सिरों के साथ एक गठबंधन समर्थक। फोटोः योगेश मिश्र

मुस्लिम वोट साधने की कोशिश

मायावती के भाषण से शुरुआत हुई. अपनी शैली के मुताबिक मायावती ने लिखा हुआ भाषण पढ़ती रहीं और समर्थक शोर मचाते रहे. मायावती ने 2017 के विधानसभा चुनाव के भाषणों की तरह ही इसमें भी बोलीं. उन्होंने दलित वोट के लिए एक बार अपील की तो वहीं मुस्लिम वोटों को साधने का पूरी कोशिश की. उन्होंने कहा कि मुस्लिम समाज को एक होना पड़ेगा, एक भी वोट बिना इधर-उधर किए, समझदारी दिखाते हुए सारा मुस्लिम समाज एक होकर गठबंधन को वोट दे. यदि मुस्लिम समाज ने एक तरफा वोट न किया तो बीजेपी एक बार फिर अपनी सरकार बनाने में कामयाब होगी.
जब मायावती भाषण दे रही थीं उस दौरान यह व्यक्ति बैरिकेडिंग पर चढ़कर अखिलेश यादव को गुलाब का फूल दिखाता रहा। फोटोः योगेश मिश्र

न्याय योजना से गरीबों को छलने जा रही कांग्रेस

माया ने कांग्रेस को भी जमकर घेरा. कांग्रेस को कोसते हुए कहा कि वह अपनी गलत नीतियों के चलते ही आज सत्ता से बाहर है. कांग्रेस की न्याय घोषणा को गरीबों के लिये छलावा बताते हुए कहा कि उनकी दादी ने भी गरीबी हटाने की बात कही थी. हमारी सरकार आने पर हम दिखाएंगे कि गरीबों की सेवा कैसे की जाती है. मायावती ने आधे घंटे से भी ज्यादा समय तक भाषण दिया.
देवबंद की रैली में मायावती भाषण देते हुए। फोटोः एएनआई

अखिलेश बोले भाजपा नशे में चूर है

अखिलेश ने अपने भाषण की शुरुआत करते हुए पहले मायावती का धन्यवाद किया. फिर बताया कि मंच के बायीं ओर माता जी का मंदिर है तथा दाहिनी ओर दरगाह है. इसके बाद अखिलेश ने भी कांग्रेस और भाजपा दोनों को घेरा. बतौर अखिलेश, कांग्रेस और भाजपा में कोई अंतर नहीं है. जो कांग्रेस है वही भाजपा है और जो भाजपा है वही कांग्रेस है. उन्होंने कहा कि भाजपा खुद ही नशे में चूर है और सराब-सराब करती है.

आकाश का कराया स्वागत

सबसे कम समय का भाषण अजीत सिंह का रहा. उन्होंने समर्थकों से गठबंधन को ही वोट करने की अपील की. मंच पर तीन मुख्य कुर्सियों के पीछे मायावती के करीबी सतीश मिश्र और भतीजा आकाश भी मौजूद थे. कार्यक्रम की समाप्ति आकाश के स्वागत करने की अपील के साथ हुई.
गठबंधन की संयुक्त टोपी लगाए एक युवक

रैली में शामिल होने वाले बोले…

हालांकि रैली में आए लोग कह रहे थे कि इस बार गठबंधन की सरकार बन रही है. कई लोग तो यह तक बोल गए कि 80 की 80 सीटें इस बार गठबंधन ले जाएगी और बहन जी प्रधानमंत्री बनेंगीं लेकिन उनको ये प्रत्युत्तर देते ही वो निरुत्तर हो गए कि गठबंधन तो सिर्फ 78 सीटों पर ही अपने उम्मीदवार उतारे हैं फिर कैसे 80 सीट जीतेंगे?
झंडे। फोटोः योगेश मिश्र

सहारनपुर में लड़ाई त्रिकोणीय

सहारनपुर सीट पर कांग्रेस ने इमरान मसूद को टिकट दिया है तो वहीं गठबंधन की तरफ से हाजी फजलुर्रहमान को टिकट दिया गया. इससे मुस्लिम वोट बंटने की संभावना प्रबल हो रही है. कांग्रेस के इमरान मसूद को मैदान पर उतारने से ही शायद मायावती खिन्न दिखीं और बार-बार मुस्लिम वोट न बंटने देने की अपील करती रहीं.
कांग्रेस प्रत्याशी इमरान मसूद ने बीजेपी के उम्मीदवार राघव लखनपाल को पिछले चुनाव में कड़ी टक्कर दिया था लेकिन लगभग 60 हजार वोटों के अंतर से चुनाव हार गए थे. अब देखना ये होगा कि कांग्रेस और गठबंधन अपने-अपने मंतव्यों को लेकर सफल होने वाले हैं.

लड़ाई नहीं सरल

यदि किसानों की बात करें तो सहारनपुर, बिजनौर और मुरादाबाद व अन्य पश्चिमी जिलों में गन्ना की खेती ज्यादा होती है. कुछ दिन पहले चली खबरों के अनुसार गन्ना किसान सरकार से असंतुष्ट बताये जा रहे थे लेकिन ऐसी कोई भी बात नहीं दिखी. गन्ना किसान उदयभान के अनुसार गन्ना का भुगतान मिलें तय समय पर कर दे रही हैं. इस लिए उन्हें इस सरकार से दिक्कत नहीं है लेकिन एक दर्द छलका कि योगी सरकार ने अभी तक आवारा पशुओं का इंतजाम नहीं करवाया. जिससे उनकी गन्ने के अलावा अन्य फसलों को अंशतः नुकसान पहुंचता है.

किसानों ने क्या कहा…

सत्यपाल के अनुसार वो भी इस सरकार से काफी हद तक संतुष्ट दिखे. उन्होंने कहा कि इस सरकार ने बिजली पर काम किया है. हम किसानों के लिए बिजली एक बहुत बड़ी समस्या थी जिसके कारण हम लोग की फसलें समय से पानी न मिलने कारण सूख जाया करती थीं. अब तो चकाचक लाइट रहती है. सड़कों के लिए भी सरकार ने काम किया है जिससे आवागमन में अब परेशानी नहीं होती.

रोजगार को लेकर युवा संदेह में

जब प्रश्न रोजगार को लेकर आता है तो युवाओं से बात करने पर उनकी प्रतिक्रिया मिलीजुली मिली. कुछ युवाओं ने कहा कि मोदी सरकार ने कोई रोजगार नहीं दिया तो कुछ ने मुद्रा योजना के तहत लोन लेकर अपना स्वयं का रोजगार चलाने की बात बताई.
रैली में कैमरों के आकर्षण का केंद्र ये समर्थक भी रहा। फोटोः योगेश मिश्र