Wednesday , 24 April 2024

बारिश में ऐसे रहें सावधान नहीं तो आ सकते हैं इन बीमारियों के चपेट में

एनटी न्यूज़ डेस्क / स्वास्थ्य

बारिश का मौसम शुरू होते ही विभिन्न प्रकार की बीमारियां फैलनी शुरु हो जाती हैं लेकिन इनकी जानकारी होते ही तुरंत समाधान करने हेतु कुछ उपाय एवं पूर्वनियोजित सावधानियां बरतने से हम इन मौसमी बीमारियों से निजात पा सकते हैं. चूंकि इस वर्ष की बरसात शुरू भी हो चुकी है तो आप नीचे बताए गए कुछ उपायों को अपनाकर अपने बच्चों समेत अपनी तबीयत का ख़्याल रखें-

वायरल बुखार

लक्षण-  बुखार मंद से मध्यम तक होना जिसके साथ बहती हुई नाक और गले में जकड़न के साथ खाँसी और गले की खराश होना, आँखों में किरकिरेपन के अनुभव, शरीर में दर्द के साथ आँखों में जलन, बच्चों में त्वचा पर निशान और अतिसार भी हो सकता है.

सावधानियां बरतें: स्वयं को स्वच्छ रखें, अपने हाथों और आँखों को साफ़ पानी से धोएँ. तरल पदार्थ और नीबू युक्त कुनकुना पानी अधिक मात्रा में लें. जंक फ़ूड से परहेज करें, और संक्रमित व्यक्तियों के संपर्क में ना आएँ, बच्चों में सेलाइन नेसल ड्राप का प्रयोग करें. हैण्ड-सेनीटाइज़र साथ रखें और भोजन के पहले इसका इस्तेमाल करें.

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उपचार- बुखार में शरीर के प्रति किलो वजन के लिए 10 मिग्रा के हिसाब से क्रोसिन की मात्रा की खुराक दिन में 3-4 बार, अपनी आयु के आधार पर, सीरप या गोली के रूप में लें. प्राथमिक उपचार के बाद डाक्टर से परामर्श लें और उपचार करायें.

जल से उत्पन्न रोग

वर्षा ऋतु में जल और भोज्य पदार्थ अधिक दूषित होते हैं और सड़क के विक्रेताओं से अस्वास्थ्यकर भोज्य पदार्थ तथा पेय लेना इन्हें और बढ़ा देता है.

सावधानियां बरतें– बारिश के मौसम के दौरान खुले खाद्य पदार्थों का सेवन बिल्कुल न करें और न ही इनको खरीदें.

डायरिया

लक्षण-  3-4 बार से अधिक पतले दस्त होना, शरीर में दर्द, बुखार, मतली और उलटी के साथ पानी जैसा पतला, खुला हुआ मल आना डायरिया के लक्षण हैं.

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प्राथमिक उपचार: शरीर में जल की कम मात्रा से मुकाबला करने के लिए नारियल पानी, नीबू पानी (एक लीटर में 6-8 चम्मच शक्कर और ¾ ग्राम नमक के साथ नीबू की कुछ बूंदें) या ओआरएस का घोल (250 मिली या 1 लीटर के लिए उपलब्ध पैकेट) लें.

टायफाइड बुखार

लक्षण: यदि शरीर में लगातार बना हुआ तेज बुखार, सिरदर्द, थकावट, शरीर में बना हुआ दर्द, पेट दर्द, अतिसार जिसके बाद कब्ज हो जाना  टायफाइड बुखार के लक्षण हैं. लगभग 10% तक मामलों में गंभीर समस्याएँ उत्पन्न हो जाती हैं.

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बच्चों के लिए उपचार: 2 वर्ष से बड़े बच्चों को टायफाइड का टीका लगाया जाता है और इसके बाद नियमित 3 वर्षों में इसे दोहराया जाना चाहिए.

हेपेटाइटिस ए (पीलिया)

लक्षण-  थकावट, भूख में कमी, हल्का बुखार, त्वचा और आँखों का पीला होना और गहरे और मटमैले रंग का मल आना पीलिया के लक्षण हैं.

सावधानियां बरतें:  भोजन के पहले और शौच के बाद हाथों को धोएँ. शौच के बाद स्वच्छता के लिए उपयोग की गई वस्तुओं को उचित प्रकार से कूड़े में डालें. उबले हुए/फ़िल्टर किये हुए जल का उपयोग करें. मक्खियों से बचाव के लिए भोजन को ढंके हुए बर्तनों में रखें.

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प्राथमिक उपचार – एस्पिरिन दवा ले सकते हैं किन्तु इसे भी खाली पेट नहीं लिया जाना चाहिए. अपनी जाँचें करवाएँ. नजरअंदाज करना गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है. हेपेटाइटिस को रोकने के लिए टीके उपलब्ध होते हैं.

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