Thursday , 18 April 2024

पत्रकारिता के पुरोधा कुलदीप नैयर का 94 वर्ष की उम्र में हुआ निधन

एनटी डेस्क न्यूज/श्रवण शर्मा/दिल्ली

वरिष्ठ पत्रकार कुलदीप नैयर का गुरुवार सुबह निधन हो गया। वह 94 वर्ष के थे। उन्होने रात 12.30 बजे ली अंतिम सांस। आज  1 बजे दिल्ली के लोधी घाट पर होगा अंतिम संस्कार।

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वह राज्यसभा के मनोनीत सदस्य भी रह चुके हैं। कुलदीप नैयर उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने आपातकाल का खुलकर विरोध किया और आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (मीसा) के तहत जेल भी गए।

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जन्म

कुलदीप नैयर को आधुनिक भारतीय पत्रकारिता के दिग्गजों में शुमार किया जाता है।  उनका जन्म 14 अगस्त, 1923 को सियालकोट (अब पाकिस्तान में) में हुआ था।

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कॉलम और ऑप-एड

कुलदीप नैयर डेक्कन हेराल्ड (बेंगलुरु), द डेली स्टार, द संडे गार्जियन, द न्यूज, द स्टेट्समैन, द एक्सप्रेस ट्रिब्यून पाकिस्तान, डॉन पाकिस्तान, प्रभासाक्षी सहित 80 से अधिक समाचार पत्रों के लिए 14 भाषाओं में कॉलम और ऑप-एड लिखते हैं।

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अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित

कुलदीप नैयर ने ‘बिटवीन द लाइन्स’, ‘डिस्टेण्ट नेवर : ए टेल ऑफ द सब कॉनण्टीनेण्ट’, ‘इण्डिया आफ्टर नेहरू’, ‘वाल एट वाघा, इण्डिया पाकिस्तान रिलेशनशिप’, ‘इण्डिया हाउस’, ‘स्कूप’ ‘द डे लुक्स ओल्ड’ जैसी कई किताबें लिखी थीं। सन् 1985 से उनके द्वारा लिखे गये सिण्डिकेट कॉलम विश्व के अस्सी से ज्यादा पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।

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प्रतिनिधिमंडल के सदस्य

नैयर 1996 में संयुक्त राष्ट्र के लिए भारत के प्रतिनिधिमंडल के सदस्य थे। 1990 में उन्हें ग्रेट ब्रिटेन में उच्चायुक्त नियुक्त किया गया था, अगस्त 1997 में राज्यसभा में नामांकित किया गया था।

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अटारी बाघा

अमृतसर में भारत-पाकिस्तान (अटारी बाघा) सीमा पर साल 2000 से 14 और 15 अगस्त को शांति बनाए रखने के उद्देश्य से वह मोमबत्तियां जलाया करते थे. यह सिलसिला एक दशक से ज़्यादा समय तक चला।

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भारत-पाक कैदियों के लिए काम किया

इसके अलावा भारतीय जेलों में बंद पाकिस्तानी क़ैदी और पाकिस्तान की जेलों में बंद भारतीय क़ैदी, जिनकी सज़ा पूरी होने के बाद भी उन्हें रिहा नहीं किया गया था, उनके लिए भी वह मुहिम चलाते थे।

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गोयनका पुरस्कार

साल 2015 में पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए उन्हें रामनाथ गोयनका पुरस्कार से सम्मानित किया गया. इसके अलावा उनके नाम से कुलदीप नैयर पत्रकारिता सम्मान भी मीडिया में काम करने वाले लोगों को दिया जाता है।

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित तमाम शख्सियतों ने कुलदीप नैयर के निधन पर दुख जताया है। प्रधानमंत्री ने उन्हें एक बौद्धिक जगत का एक ऐसा दिग्गज बताया जो हमेशा ईमानदार और निर्भीक रहा।

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