Friday , 29 March 2024

‘नमामि गंगे’ के लिए कितना पैसा जारी हुआ, कितना काम हुआ? सब जानिए

एनटी न्यूज़ / संपादकीय डेस्क / योगेश मिश्र

अभी भी ‘नमामि गंगे’ नहीं आई है पूरी तरह धरातल पर

देश की लगभग 40% आबादी गंगा नदी पर निर्भर है. सन् 2014 में न्यूयॉर्क में मेडिसिन स्क्वायर गार्डन में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा था, “अगर हम इसको साफ करने में सक्षम हो गए तो यह देश की 40 फीसदी आबादी के लिए एक बड़ी मदद साबित होगी. अतः गंगा की सफाई एक आर्थिक एजेंडा है”. इस सोच को कार्यान्वित करने के लिए सरकार ने गंगा नदी के प्रदूषण को समाप्त करने और नदी को पुनर्जीवित करने के लिए ‘नमामि गंगे’ गंगा संरक्षण इकाई का मई 2015 में शुभारंभ किया.

 

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गंगा नदी की सफाई के लिए बजट को चार गुना करते हुए प्रस्तावित कार्य योजना को मंजूरी दे दी. आपको ज्ञात हो कि इस बजट में नमामि गंगे के लिए 20 हजार करोड़ रुपए प्रस्तावित थे, जिसमें मंत्रिमंडल ने प्रस्तावित पूरी रक़म पास कर दी. इस कार्य योजना को केंद्रीय योजना का रूप देते हुए मंत्रिमंडल द्वारा केंद्र की 100% हिस्सेदारी तय की गई.

गंगा सफाई का एक दृश्य

एनजीटी ने इस 19 जुलाई को कहा कि सरकार ने गंगा की सफाई के लिए अभी तक कोई प्रभावी कदम नहीं उठाया है. सरकार ने दो साल में गंगा सफाई पर सात हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च किए हैं लेकिन गंभीर पर्यावरणीय मुद्दे अभी जस के तस बने हैं. एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस ए.के. गोयल की अध्यक्षता में जस्टिस जवाद रहीम और जस्टिस आर.एस. राठौर की पीठ ने कहा कि अधिकारियों के दावों के बावजूद गंगा की सफाई के लिए धरातल पर पर्याप्त काम नहीं हुआ है. स्थिति में सुधार के लिए कार्यों की सतत निगरानी की जरूरत है. ट्रिब्यूनल ने गंगा प्रदूषण की जमीनी हक़ीकत जानने के लिए आम लोगों के बीच एक सर्वेक्षण करने का आदेश दिया है.

हरिद्वार के रामेश्वर घाट का निर्माण प्रगति पर (फाइल फोटो)

केंद्रीय मंत्री सत्यपाल सिंह ने इस पर लोकसभा में कहा, ‘यह कहना सही नहीं है कि पिछले कई दशकों में किसी गंगा परियोजना में प्रगति नहीं हुई. उन्होंने बताया कि सन् 1985 से अब तक 168.4 करोड़ लीटर प्रतिदिन की सीवेज ट्रीटमेंट क्षमता स्थापित की जा चुकी है. कुल 4812 किलोमीटर के स्वीकृत सीवर नेटवर्क में से क़रीब 2050 किमी की सीवर लाइन ‘नमामि गंगे’ के तहत बिछायी जा चुकी है. ‘नमामि गंगे’ के तहत गंगा बेसिन के पांच राज्यों में 151 घाटों और 54 श्मशान घाटों की मंजूरी दी गई थी. इनमें से 34 घाटों और 9 श्मशान घाटों का निर्माण किया जा चुका है. निर्मित 34 घाटों में से 23 उत्तर प्रदेश, 10 उत्तराखंड और एक झारखंड में है जबकि सभी नौ श्मशान घाटों का निर्माण उत्तराखंड में किया गया है’. [फोटो साभारः https://nmcg.nic.in/]

संपादनः योगेश मिश्र

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